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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक लाल पंक का निपटान रपने में नवीन भूमिका निभा सकती है:- डॉ. तपन कुमार चान्द, अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, नालको

calender26/07/2019
Cutting-edge-technology-playing-innovative-role-in-tackling-disposal-of-red-mud-to-protect-environment-Dr.-T.K.Chand,-CMD,-NALCO-big

भुवनेश्वर, 26.07.19: कॉरपोरेट होन्कोस, खान मंत्रालय के अधिकारियों, पर्यावरणविदों और खान और धातु क्षेत्र के हितधारकों ने राष्ट्र के एक स्वच्छ भविष्य के लिए लाल पंक के सृजन और इसके सुरक्षित निपटान के लिए विचार-मंथन किया और उत्पादक उपयोग की स्थिति की समीक्षा की।

जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिज़ाइन सेंटर (जेएनएआरडीडीसी) के सहयोग से खान मंत्रालय ने अनुसंधान के अंतर को चिह्नित करने और भारी मात्रा में सृजित अपशिष्ट (लाल-पंक या बॉक्साइट अवशेष के रूप में ज्ञात) का निपटान एवं उपयोग करने के लिए तत्काल कार्रवाई-उन्मुख अभिगम की पहचान करने हेतु आज नई दिल्ली में ‘लाल-पंक नेटवर्किंग सम्मेलन’ का आयोजन किया।

सभी प्रमुख वक्ता, डॉ के. राजेश्वर राव, आईएएस,अवर सचिव, खान मंत्रालय, भारत सरकार, श्री अनिल कुमार नायक, संयुक्त सचिव, खान मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. तपन कुमार चान्द,अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, नालको, श्री आलोक चंद्र, आर्थिक सलाहकार, खान मंत्रालय, श्री अनुपम अग्निहोत्री, निदेशक, जेएनएआरआरडीडीसी ने अपने सुझाव दिए और हितधारकों से आग्रह किया कि वे सरकार के प्रयासों को मजबूत बनाने हेतु ठोस कदम उठाएँ, जो स्वच्छ जलवायु और अपशिष्ट उपयोग के प्रबंधन के लिए अथक प्रयास कर रही है।

डॉ. राजेश्वर राव, अवर सचिव, खान मंत्रालय ने लोहा और विरल मृत्तिका तत्वों के निष्कर्षण के लिए लाल-पंक प्रसंस्करण की प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सभी एल्यूमिनियम उत्पादकों से लाल-पंक की चुनौतियों का सामना करने  के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। श्री अनिल मुकीम, सचिव, खान मंत्रालय, भारत सरकार ने इस सम्मेलन की शोभा बढ़ाते हुए प्रतिभागियों के साथ विचार-विमर्श किया।

डॉ. तपन कुमार चान्द, अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक ने मंत्रालय की पंचवर्षीय कार्य-योजना में लाल-पंक को शामिल करने के लिए सचिव, खान एवं अवर सचिव, खान का अभिनंदन किया।

डॉ. चान्द ने कहा, “बॉक्साइट से एल्यूमिना उत्पादन की प्रक्रिया में लाल-पंक के रूप में ठोस अपशिष्ट सृजित होता है, जो राजस्व और धन सृजन का एक स्रोत हो सकता है, यदि इससे लोहा, सोना, चांदी, रूटाइल, लेमिनाइट और अन्य विरल मृत्तिका तत्वों का निष्कर्षण किया जाए। सीमेंट/ईंटें, सेरामिक और निर्माण उद्योगों में इसके उपयोग पर बल देने की जरूरत है।” डॉ. चान्द ने इस क्षेत्र को उत्कृष्ट अभ्यासों का पालन करने और स्वच्छ और संधारणीय औद्योगिक वातावरण सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण में कार्य करने का आग्रह किया।

सभी खनन प्रमुख कंपनियों – नालको, वेदांत, हिंडाल्को, खान मंत्रालय और जेएनएआरडीडीसी के अधिकारीगण इस बैठक में उपस्थित थे।

खान मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न लोक उद्यम नालको ने लाल-पंक उपयोग के अनुसंधान एवं विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया है और इस क्षेत्र में कई परियोजनाएँ हाथ में ली हैं। यह उल्लेखनीय है कि नालको ने संधारणीय औद्योगिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण प्रबंधन में लगातार वैश्विक मानदंड स्थापित किए हैं। हाल ही में, कंपनी की पंचपट्टमाली बॉक्साइट खान को पर्यावरण प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन पर 21वीं विश्व कांग्रेस में वर्ष 2019 के लिए प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक पर्यावरण प्रबंधन पुरस्कार ’से सम्मानित किया गया है।