सतर्कता @ नालको

नालको में सतर्कता कार्य

नालको में वर्ष 1982 में सतर्कता विभाग की स्थापना हुई । सीवीसी दिशानिर्देशों के अनुसार नालको के सभी एककों अर्थात निगम कार्यालय भुवनेश्वर, ओड़िशा, प्रद्रावक एवं विद्युत (प्र एवं वि) संकुल, अनुगुळ, ओड़िशा तथा खान एवं परिशोधक (खा एवं प) संकुल, दामनजोड़ी, ओड़िशा में सतर्कता अधिकारी की प्रतिनियुक्ति है, जो निगम कार्यालय में स्थित मुख्य सतर्कता अधिकारी को रिपोर्ट करते हैं।

विभाग की गतिविधियों में शिकायतों के पड़ताल के साथ के.स.आ/खान मंत्रालय/सीबीआई/नालको निगम दिशानिर्देशों/अन्य नियामक और सांविधिक प्रावधानों के संदर्भ में परिभाषित विभिन्न नियमों और दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना शामिल है। विभाग द्वारा कंपनी में नैतिक कार्याभ्यास सुनिश्चित हेतु सक्रिय कदम उठाए जाते हैं। संगठन के कार्यप्रणाली की बेहतरी हेतु निवारक एवं सुधारात्मक पहल के साथ विभाग द्वारा प्रतिक्रियावादी एवं सुधारवादी युक्ति अपनायी जाती है।

सतर्कता की भूमिका को बड़े पैमाने पर निम्नलिखित शीर्षकों में परिभाषित किया जा सकता है:

अग्रसक्रिय सतर्कता

विभाग भ्रष्टाचार-रोधी उपाय, नियमों और प्रक्रियाओं के सरलीकरण द्वारा व्यवस्था-परक कमियों को दूर करने के लिए कर्मचारियों को जागरूक और प्रशिक्षित कर रहा है। सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से सभी को स्वच्छ, ईमानदार, प्रभावी और पारदर्शी निर्णय लेने के लिए शिक्षित किया जाता है।

निरोधक सतर्कता

यह किसी भी संगठन के मजबूत सतर्कता संरचना हेतु उपादेय है। विभाग की कार्य-पद्धति के विभिन्न क्षेत्रों में गलत और कदाचार कृत्यों को नियंत्रित करने हेतु निरोधक सतर्कता के अंतर्गत प्रक्रियाएं एवं प्रणालियाँ विकसित की जाती हैं।

भावी सतर्कता

संगठन के पक्ष में गतिविधियों का पूर्व आकलन कर कदाचार, भ्रष्टाचार एवं कमियों के विरूद्ध प्रबंधन द्वारा किये जाने वाले उपायों का अग्रिम सुझाव देना।

गुप्तचर सतर्कता

(a) शिकायत, निरीक्षण रिपोर्ट, लेखा परीक्षा रिपोर्ट, प्रेस रिपोर्ट, सीबीआई रिपोर्ट, न्यायिक टिप्पणी, सूचना स्रोत का प्रभावी जाँच एवं प्रयोग तथा

(b) भ्रष्ट आचरण, दुर्व्यवहार, लापरवाही, अनाचार का पता लगाना तथा

(c) जन संपर्क बिंदुओं की निगरानी, संदिग्ध निष्ठा के संवेदनशील पदों के अधिकारियों की निगरानी तथा

(d) विवेकाधीन शक्तियुक्त अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णयों की जांच;

दंडात्मक सतर्कता

इसके अंतर्गत वास्तविक दोषियों के खिलाफ पड़ताल तथा साक्ष्य-संकलन व द्रूत विभागीय जाँच कर त्वरित एवं निवारक कार्रवाई किया जाना शामिल है।

सुधारात्मक सतर्कता

इसमें गुप्तचर सतर्कता के परिणामों का विश्लेषण व सहयोगी कारकों एवं कारणों के अन्वेषण द्वारा दोहराव को रोकने के उपाय कर अलार्म सिग्नलों को सक्रिय, समय के अनुकूल प्रयास एवं प्रकियाओं को अद्यतन किया जाना शामिल है।

सतर्कता गतिविधियां

  • संदिग्ध सत्यनिष्ठा के अधिकारियों की सूची तैयार करना
  • अधिकारियों की “सहमति सूची” तैयार करना
  • अचल/चल परिसंपत्तियों के विवरण की जाँच
  • संवेदनशील क्षेत्रों में कर्मचारियों के आवर्तन की निगरानी
  • अनुवर्ती कार्रवाई के साथ शिकायतों की जाँच पड़ताल करना
  • लागत नियंत्रण/कटौती तथा कार्यक्षेत्र संबंधित औपचारिक प्रथाओं को कम करने हेतु नालको प्रबंधन को  परामर्श देना तथा प्रणाली एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।
  • सामग्री और सेवा संविदाओं के क्रय की समीक्षा करना
  • औचक निरीक्षण करना
  • सीटीई प्रकार का निरीक्षण करना एवं लेखा परीक्षा रिपोर्ट की जाँच करना
  • सीवीसी के निर्देशों का अनुवर्तन करना
  • सीवीसी और एमओएम को मासिक / त्रैमासिक और वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना
  • सतर्कता जागरूकता सप्ताह का अवलोकन करना
  • निरोधक सतर्कता के विभिन्न पहलुओं पर लाइन प्रबंधकों को आंतरिक प्रशिक्षण प्रदान करना।

मुख्य सतर्कता अधिकार (सीवीओ) की भूमिका एवं कार्य

मुख्य सतर्कता अधिकारी नालको में सतर्कता विभाग के प्रमुख (सीवीसी द्वारा नियुक्त केंद्र सरकार के प्रतिनियुक्त अधिकारी) होते हैं। मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) संबंधित संगठन के सतर्कता प्रभाग के प्रमुख होते हैं और सतर्कता से संबंधित सभी मामलों में मुख्य कार्यपालक के सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। वह एक ओर संगठन और केंद्रीय सतर्कता आयोग एवं दूसरी ओर संगठन और केंद्रीय जांच ब्यूरो के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। मु.स.अ कृत सतर्कता कार्यों का व्यापक संदर्भ है एवं इसमें संगठन के कर्मचारियों द्वारा किए गए अथवा किए जा सकने वाले भ्रष्ट प्रयासों की गुप्त जानकारी एकत्रित करना, सूचित किए गए सत्यापन संभावित शिकायतों की पड़ताल करना या किया जाना, संबंधित अनुशासनात्मक प्राधिकारी के विचारार्थ पड़ताल रिपोर्ट प्रस्तुत करना, यथा आवश्यक मामलों को सुझाव हेतु आयोग को प्रेषित करना, अनुचित प्रयास एवं कदाचार को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाना, लेखा-परीक्षा परीक्षण करना, संतर्कता संदर्भ में अन्य मामलों की जाँच एवं रिपोर्टिंग करना इत्यादि। इस प्रकार, मु.स.अ के दायित्वों को तीन श्रेणियों में परिभाषित किया जा सकता है-

(i) निरोधक सतर्कता;

(ii) दंडात्मक या प्रतिक्रियावादी सतर्कता;

(iii) निगरानी और गुप्तचर सतर्कता.

निश्चित रूप से भ्रष्टाचार एवं अनाचार का पता लगाना एवं दंड देना अतिमहत्वपूर्ण है तथापि यह अधिक महत्वपूर्ण है कि, भ्रष्टाचार के पश्चात दोषी को ढूंढ कर सज़ा देने के बजाए उसके रोकथाम के उपाय किये जाएं। अतएव, सीवीओ की भूमिका और कार्यों को मुख्य तौर पर दो भागों में रखा गया है, जो (I) निरोधक और (II) दंडात्मक हैं.

निरोधक पक्ष पर

मु.स.अ द्वारा किये जाने वाले विभिन्न उपायों में मुख्यतः निम्न शामिल हैं:

(a) भ्रष्टाचार या अनाचार के दायरे को समाप्त करने या कम करने के लक्ष्य से संगठन के मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं की विस्तार से जाँच करना;

(b) संगठन में संवेदनशील / भ्रष्टाचार प्रवृत्त स्थानों की पहचान करना और ऐसे क्षेत्रों में नियुक्त कर्मियों पर नजर रखना;

(c) प्रणाली की विफलता और भ्रष्टाचार या अनाचार के अस्तित्व का पता लगाने के लिए औचक निरीक्षण और नियमित निरीक्षण की योजना बनाना और लागू करना;

(d) संदिग्ध सत्यनिष्ठा के अधिकारियों पर उचित निगरानी; तथा

(e) अधिकारियों की सत्यनिष्ठा से संबंधित आचरण नियमों का त्वरित पालन सुनिश्चित करवाना, बतौर

  • (i) वार्षिक संपत्ति विवरण;
  • (ii) अधिकारियों द्वारा स्वीकृत उपहार
  • (iii) बेनामी लेन-देन
  • (iv) निजी फर्मों अथवा व्यवसाय में कार्यरत रिश्तेदारों के बारे में।

दंडात्मक पक्ष पर

सभी चरणों पर सतर्कता मामलों के त्वरित प्रसंस्करण को सुनिश्चित करना। केंद्रीय सतर्कता आयोग

के परामर्श संबंधी मामलों के विषय में, मुख्य सतर्कता अधिकारी द्वारा यथावश्यक व्यक्ति, स्थान संबंधी सतर्कता दृष्टिकोण से लिये गए उन प्रत्येक व सतर्कता विषयक मामलों की जानकारी संबंधित प्रशासनिक प्रधान बतौर- मंत्रालय/विभाग के संबंध में संबंधित सचिव व लोक उद्यम संगठन हेतु मुख्य कार्यपालक को दी जाए।

(ii) आरोप-पत्र, अभियोग-विवरण, गवाह और दस्तावेजों की सूची का सावधानीपूर्वक निर्माण सुनिश्चित करना तथा आरोपी अधिकारी को अनुशासनात्मक प्राधिकारी की ओर से उद्धृत गवाहों के बयान एवं संबंधित दस्तावेज की प्रतियां यथासंभव, आरोप-पत्र के साथ प्रदान करना;

(iii) जाँच अधिकारी को अग्रेषित किए जाने वाले सभी आवश्यक दस्तावेज का ध्यानपूर्वक वर्गीकरण तथा यथासमय प्रेषण सुनिश्चित करना;

(iv) जाँच अधिकारी की अविलंब नियुक्ति तथा आरोपी या पेश-कर्ता अधिकारी द्वारा किसी भी तरह की विलंबकारी कार्यनीति न अपनाया जाना सुनिश्चित करना;

(v) अनुशासनात्मक प्राधिकारी के अंतिम आदेशों के लिए जांच अधिकारी की रिपोर्ट का समुचित एवं त्वरित प्रसंस्करण सुनिश्चित करना;

(vi) मंत्रालय/विभाग के अधीनस्थ अनुशासनात्मक प्राधिकारियों द्वारा पारित अंतिम आदेशों पर बनने वाली भावी संभावित समीक्षा के आंकलन के उद्देश्य से विषय की जांच करना;

(vii) कें.अ.व्यू को सुपूर्द मामलों अथवा उनके द्वारा स्व-स्रोत से प्रारंभ किये अन्वेषण पर समुचित सहयोग प्रदान करना;

(viii) आरोपी अधिकारियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं के संबंध में उचित और अनुरूप कार्रवाई करना;

(ix) सभी आवश्यक स्तरों पर यथासंभव केंद्रीय सतर्कता आयोग से संपर्क एवं सतर्कता नियमावली में निर्धारित समय सीमा का पालन सुनिश्चित करना;

(x) आयोग को त्वरित विवरण प्रस्तुति सुनिश्चित करना;

(xi) मंत्रालय/विभाग के सतर्कता कार्य संबंधी मौजूदा व्यवस्थाओं के अधीन सतर्कता कार्य के अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा किए गए सतर्कता कार्य के शीघ्र और प्रभावी निपटान की समय-वार समीक्षा करना;

(xii) सक्षम अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा सोद्देश्य लोक सेवकों विशेषकर सेवानिवृत्त अधिकारियों को, सेवानिवृत्ति के मद्देनजर, सहयोग करने हेतु मामलों में विलंबकारी या कानूनी रवैया न अपनाया जाना सुनिश्चित करना।

(xiii) सेवानिवृत्ति के समीप के सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मामले, फाइल खोने आदि वजहों से, समय-सीमा के कारण रद्द न होना तथा,सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों के मामलों में  पारित आदेश समयावधि में लागू किया जाना सुनिश्चित करना; तथा

(xiv) जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किये गए रिपोर्ट की तिथि से सामान्यतया छह माह की अवधि के भीतर, अनुशासनात्मक मामले में, आरोप-पत्र जारी किया जाना सुनिश्चित करना ।

सतर्कता के हिस्सेदार

Stakeholders