नेशनल एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (नालको) खान मंत्रालय के अधीन अनुसूची-‘क’ का एक नवरत्न केन्द्रीय लोक उद्यम है। यह कम्पनी भुवनेश्वर में पंजीकृत कार्यालय के साथ 7 जनवरी, 1981 को स्थापित हुई थी। यह देश में एक वृहत्तम एकीकृत बॉक्साइट-एल्यूमिना-एल्यूमिनियम-विद्युत संकुल है। वर्तमान में भारत सरकार के पास 51.28% इक्विटी पूँजी धारिता है।इस कंपनी के ओड़िशा के कोरापुट जिले के दामनजोड़ी में अपने पिटहेड एल्यूमिना परिशोधक के लिए ग्रहीत पंचपटमाली बॉक्साइट खान और अनुगुळ में एल्यूमिनियम प्रद्रावक एवं ग्रहीत विद्युत संयंत्र का प्रचालन करती है। हरित पहल के रूप में नालको ने कार्बन पदचिह्न कम करने के लिए देश के विविध स्थानों पर 198 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र तथा अपने परिसर के छत पर 850 किलोवाट क्षमता के सोलर पॉवर संयंत्रों की स्थापना की है। कंपनी पिछले 36 वर्षों अर्थात् 1987 में प्रथम व्यवसायिक परिचालन से ही निरंतर लाभार्जन कर रही है। नालको विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला देश का अग्रणी लोक उद्यम है। कम्पनी वर्ष 2022 में विश्व में एल्यूमिना तथा बॉक्साइट का न्यूनतम लागत वाला उत्पादक बने रहने में सफल रहा है।
बाजार के अवसरों को पूँजी में परिवर्तित करते हुए वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी ने उच्च विक्रय हासिल किया, जिससे उच्च एवं निम्न दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। वित्त वर्ष 2021-22 में ₹14,181 करोड़ का राजस्व तथा ₹2,952 करोड़ का अब तक सर्वाधिक कर पश्चात लाभ हासिल किया गया।
हालांकि, वित्त वर्ष 2022-23 में कम मूल्य निर्धारण परिस्थिति के बावजूद, घरेलू बाजार पर केंद्रित रहते हुए कंपनी ने परिचालन से अब तक का सर्वाधिक राजस्व ₹14,255 करोड़ हासिल किया। तथापि, वित्त वर्ष 2022-23 में लागत मूल्य में वृद्धि के कारण कर पश्चात लाभ ₹1,544 करोड़ रहा। वित्त वर्ष 2022-23 में लगातार दूसरे वर्ष भी नालको समस्त 960 पॉट के संचालन के साथ 4.6 लाख टन का पूर्ण क्षमता एल्यूमिनियम उत्पादन हासिल कर सका।
इस कम्पनी के ओड़िशा के कोरापुट जिले के दामनजोड़ी में अवस्थित 68.25 लाख टन प्रतिवर्ष की बॉक्साइट खान और 21.00 लाख टन प्रतिवर्ष (नियामक क्षमता) का एल्यूमिना परिशोधक है और ओड़िशा के अनुगुळ में 4.60 लाख टन प्रतिवर्ष का एल्यूमिनियम प्रद्रावक एवं 1200 मेगावाट क्षमता का ग्रहीत विद्युत संयंत्र है।
देशीय बाजार में विपणन को सुसाध्य बनाने के लिए दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और चेन्नै में कंपनी के पंजीकृत बिक्री कार्यालय हैं और देश में विभिन्न स्थानों पर इसके 7 (सात) स्टॉकयार्ड हैं। इसके अतिरिक्त, नालको के पास उत्पादों के निर्यात के लिए थोक जहाजी-लदान की सुविधाएँ हैं।
क्षमता उपयोग, प्रौद्योगिकी समावेशन, गुणवत्ता आश्वासन, निर्यात कार्य-निष्पादन और लाभार्जन में अपने निरन्तर ट्रेक रिकार्ड के साथ, नालको भारत की औद्योगिक क्षमता का एक उज्ज्वल उदाहरण है ।
मई 1989 से लन्दन धातु बाजार (एल.एम.ई.) में पंजीकरण के साथ नालको वह पहली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है, जिसने अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक बड़े रूप में प्रवेश किया। यह कम्पनी 1992 से मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और 1999 से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है। साथ ही यह आई.एस.ओ.-9001, आई.एस.ओ.-14001, ओ.एच.एस.ए.एस.-45001, आई.एस.ओ.-50001 एवं एस.ए.-8000 प्रमाणपत्र-धारी है। निगम कार्यालय के डाटा सेंटर और एल्यूमिना परिशोधन के आपदा वसूली अवस्थान सूचना सूरक्षा प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रमाणित व अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन सेवा, यूएसए द्वारा मान्यता व प्रमाणन पुरस्कार आईएसओ 27001:2013 प्राप्त है।
सदा-विकासशील बाजार की चुनौतियाँ का सामना करने और कंपनी को एक संधारणीय विकास पथ में सुस्थित करने के लिए, एक नई निगम योजना विकसित की गई है, जिसमें देशीय और वैश्विक दोनों में खनन, धातु और ऊर्जा क्षेत्रों में रणनीतिक सक्षमता के साथ एल्यूमिनियम मूल्य-शृंखला में एक प्रधान और एकीकृत कंपनी बनने के लिए सुपरिभाषित 3 वर्षं की कार्य-योजना, 7 वर्षों की रणनीति एवं 15 वर्षों की संकल्पना शामिल है। इस निगम योजना द्वारा 2032 तक राजस्व और लाभ में विविध विकास के लिए एक मार्ग-मानचित्र विकसित किया गया है।
यद्यपि, कंपनी अपने परिचालन उत्कृष्टता को निगम योजना के माध्यम से स्थापित कर रही है, तथापि कंपनी के पास अपने विस्तार कार्यक्रम हेतु भली-भाँति तैयार योजनाएँ भी हैं। वर्तमान में कंपनी, कुछ मुख्य परियोजनाओं पर कार्यरत है। यथा:
आधारभूमि एकीकरण के अंश रूप में, कंपनी ने गुजरात में गुजरात अल्कालिज एण्ड केमिकल्स लिमिटेड (जी.ए.सी.एल.) के साथ संयुक्त उद्यम में एक कॉस्टिक सोड़ा संयंत्र की स्थापना की है। मई 2022 से उत्पादन प्रारम्भ हो चुका है तथा अगस्त 2022 से नालको को कास्टिक सोडा की आपूर्ति हो रही है।
पूर्वी भारत के औद्योगिक मानचित्र में नालको का नाम अग्रणी है। सच्ची भावना से, यह कंपनी ओड़िशा के औद्योगिक मानचित्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस कंपनी ने एल्यूमिनियम उद्योग से संबंधित ऊर्ध्वप्रवाह एवं अनुप्रवाह उत्पादों संबंधी सहायक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए, ओड़िशा इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कोर्पोरेशन (इडको) के साथ अनुगुळ एल्यूमिनियम पार्क प्रा॰ लि॰ (ए.ए.पी.पी.एल.) नामक संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित की है।
विदेशी अवस्थान के दुर्लभ खनिज की प्राप्ति व भारत में आपूर्ति करने हेतु नालको ने एचसीएल और एमईसीएल के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) का गठन किया है।
इस कंपनी ने, सफलता के सोपानों चढ़ते हुए, समानुभूतिक निगम सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के माध्यम से अपने प्रचालन के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। विस्थापित परिवारों का पुनर्वास, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय सृजन, स्वास्थ्य-देखभाल और स्वच्छता, शिक्षा एवं कौशल विकास, पीने के साफ पानी की आपूर्ति, आनुषंगिक सुविधाओं का विकास, प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरणीय उपायों, ग्रामीण विकास, कला, दस्तकारी एवं संस्कृति को प्रोत्साहन तथा विभिन्न मानवीय सद्भावना मिशन से नालको ने निगम विश्व में एक गौरवमय स्थान हासिल किया है।
परिधीय क्षेत्रों में जीवन यापन की बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिए व्यापक पहलकदमियों के साथ और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए इस कंपनी ने अनेक महत्वाकांक्षी परियोजनाएँ हाथ में ली हैं। इसके उल्लेखनीय प्रयासों में इन्द्रधनुष योजना शामिल है, जिसमें कंपनी ने माओवादियों से पीड़ित दामनजोड़ी क्षेत्र के 1000 से अधिक आदिवासी बच्चों को प्रायोजित किया और 3 प्रसिद्ध आवासीय स्कूलों में शिक्षा प्रदान करवाई। सरकार की “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान” के समान ही “नालको की लाड़ली” योजना के अधीन अनुगुळ और दामनजोड़ी क्षेत्र के गरीबी की सीमारेखा से नीचे के परिवारों की मेधावी कन्या विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करके कंपनी द्वारा गोद लिया गया। स्वास्थ्य देखभाल को एक अनिवार्य आवश्यकता मानते हुए, नालको अपने संयंत्रों के परिधीय गाँवों में 8 एम.एच.यू.ज (मोबाईल स्वास्थ्य एककों) और ओ.पी.डी का प्रचालन कर रही है, जिनके माध्यम से प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक रोगियों का इलाज़ किया जाता है।
भारत सरकार के आह्रवान के अनुसरण में, नालको ने अपने प्रचालन क्षेत्रों के विभिन्न जिलों में शौचालयों का निर्माण करवाकर स्वच्छ भारत अभियान में सक्रिय भागीदारी की है एवं दामनजोड़ी और अनुगुळ क्षेत्र में 11 परिधीय गाँवों को पूरी तरह खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.).बनाकर एक उत्कृष्ट पहल की है।
प्रधानमंत्री के प्रतिष्ठित तीर्थस्थल विकास कार्यक्रम के अधीन नालको ने श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी और इसके आपसास के क्षेत्रों के स्वच्छता अनुरक्षण तथा विकास का दायित्व लिया है।
कंपनी ने गांधी पार्क को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए आनुषंगिक सुविधाओं का विकास तथा स्वच्छता अनुरक्षण कार्य किए, मंदिर में प्रकाश-सज्जा, दीवारों पर जगन्नाथ संस्कृति पर आधारित प्रासंगिक चित्रकारी करके नगर का सौन्दर्यीकरण किया और दिव्यांग तथा बीमार व्यक्तियों के लिए रेलवे स्टेशन से मंदिर तक आने-जाने के लिए निःशुल्क बैटरी चालित वाहन चलाए हैं। पुरी शहर के विभिन्न स्थानों पर आरओ अधारित पेयजल सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
कंपनी आरम्भ से ही समाज के लिए गहरी समानुभूतिक चिन्ता प्रदर्शित करते हुए संधारणीय विकास एवं निरंतर लाभार्जन के साथ आगे बढ़ती रही है। ओड़िशा के लाखों लोगों के दिलों में एक आधुनिक औद्योगिक “कोणार्क” के रूप में उकेरी हुई, यह कंपनी अपने साथ काम करनेवाले लोगों के लिए एक विशेष स्थान निर्माण करने में समर्थ हुई है। हितधारकों की संपत्ति को बढ़ाना, कंपनी के विकास को ऊँचा उठाने के लिए प्रमुख उत्प्रेरक बना हुआ है, फिर भी हितधारकों के चेहरे में मुस्कान लाने के लिए प्रबल भावना प्रमुख रही है।