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भुवनेश्वर, 18/12/2015: नेशनल एल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड (नालको), नवरत्न कें.सा.क्षे.उ., ने संस्कृत के क्षेत्र में अपना योगदान करनेवाले दो सुप्रसिद्ध विद्वानों को प्रतिवर्ष प्रदान करने के लिए राज्य-स्तरीय पुरस्कार संस्थापित किए हैं। नालको कालीदास पुरस्कार नामक इस वार्षिक मान्यता में 7 जनवरी को नालको स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक को नकद ₹50,000/- का बटुआ और एक प्रशंसापत्र प्रदान किया जाएगा। नालको के अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध-निदेशक श्री तपन कुमार चान्द द्वारा आज पुरी में एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ‘निर्माल्य’ द्वारा ‘भारत सहिष्णुता का प्रतीक है’ विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार में यह घोषणा की गई।
विभिन्न राज्यों से पधारे विशिष्ट अतिथियों और प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए, श्री चान्द ने कहा : “एक राष्ट्र के रूप में, भारत सहनशीलता का प्रतिमान है। हमारा इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरपूर है जहाँ आक्रमणकारियों को तदनन्तर काल में देश की बहु-वर्णित संस्कृति में समाविष्ट कर लिया गया।” विशिष्ट वक्ताओं के दल में प्रो॰ एच.के. शतपथी, कुलपति, तिरुपति विश्वविद्यालय और प्रो॰ गंगाधर पण्डा, कुलपति, श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, ओड़िशा शामिल थे।
इस अवसर पर श्री चान्द का विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों द्वारा अभिनन्दन किया गया। आरम्भ में, श्री बद्री मिश्र, अध्यक्ष, निर्माल्य ने अतिथियों का परिचय दिया, जबकि श्री विश्वनाथ मिश्र, सचिव, विषय की प्रस्तावना पेश की और कार्यक्रम का संचालन किया।