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नालको ने 2013-14 के लिए ₹387 करोड़ का लाभांश घोषित किया।

calender27/09/2014

भुवनेश्वर:  आज यहाँ आयोजित 33वीं वार्षिक साधारण बैठक में, नेशनल एल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड (नालको), खान मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम, के शेयरधारकों ने 30% का कुल लाभांश भुगतान अनुमोदित किया, जो ₹1.50 प्रति शेयर होता है। 2013-14 के लिए कुल भुगतान ₹387 करोड़ का है। आरम्भ से अबतक, नालको ने लाभांश के रूप में ₹4906 करोड़ का भुगतान किया है, जिसमें भारत सरकार के अंश के ₹4234 करोड़ शामिल है।

वार्षिक साधारण बैठक के पश्चात, श्री अंशुमान दास, अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध-निदेशक, नालको ने पत्रकारों को सम्बोधित किया और कम्पनी के कार्य-निष्पादन और इसकी विकास योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “संधारणीय विकास की उपलब्धि की दृष्टि से, नालको ने वर्तमान की चुनौतियों और भविष्य के भयों पर जीत हासिल करने के लिए एक नई यात्रा शुरू की है।” प्रचालन के 33 वर्षों के बाद, यह कम्पनी अब आगे और विस्तारों, विविधीकरणों के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए ध्यान केन्द्रित कर रही है और पणधारकों की संतुष्टि के साथ-साथ संधारणीयता बढ़ा रही है। परिधीय विकास और पर्यावरण संरक्षण पर अतिरिक्त बल दिया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि यह कम्पनी वर्तमान एक महत्वाकांक्षी विकास योजना चालू कर रही है, जिसमें आगामी 3 से 4 वर्षों में, केवल एल्यूमिनियम क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय निवेश शामिल होगा। इससे नालको की उत्पादकता और लाभकारिता को एक उल्लेखनीय बढ़ावा मिलेगा।

अपने स्व-प्रेरित विकास को जारी रखते हुए, कम्पनी ने ₹400 करोड़ की अनुमानित परियोजना लागत से एल्यूमिना परिशोधक की 4थी धारा का उन्नयन कार्य पूरा किया, जिससे इसकी क्षमता 21 लाख टन प्रति वर्ष से 22.75 लाख टन प्रतिवर्ष तक और बॉक्साइट खान की क्षमता 63 लाख टन प्रतिवर्ष से 68.25 लाख टन प्रतिवर्ष तक बढ़ गई।

अपनी हरित पहलों के अलावा, यह कम्पनी ₹283 करोड़ के निवेश से जैसलमेर, राजस्थान में 47.6 मेगावाट की द्वितीय पवन विद्युत परियोजना को भी चालू कर चुकी है। 50.4 मेगावाट क्षमता का पहला पवन विद्युत संयंत्र आन्ध्र प्रदेश में 2012-13 में चालू हुआ था। 2013-14 में, इन दोनों संयंत्रों से लगभग 150 मिलियन एकक विद्युत का सृजन हुआ था। वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का दोहन करने हेतु एक और कदम के रूप में, इस कम्पनी ने निगम कार्यालय भवन में छत पर (160 किलोवाट पीक) सौर ऊर्जा प्रणाली और भुवनेश्वर में उपनगरी के भवनों में छत पर (100 किलोवाट पीक) सौर ऊर्जा प्रणाली चालू की है।

नया उद्यम : निवर्तमान स्रोतों के आगे तलाश

जबकि एक नवरत्न कम्पनी के रूप में एल्यूमिनियम के क्षेत्र में लाभ कमाने तथा एक सफल ट्रेक रिकार्ड को बनाए रखने के प्रयास जारी हैं, निगम प्रतिष्ठा के एक नए स्तर की उपलब्धि के लिए नालको अपने मुख्य प्रचालनों के पार नए क्षेत्र तलाश रही है।

इन पहलों में से कुछ हैं:

• गुजरात में एल्यूमिना परिशोधक परियोजना

नालको जी.एम.डी.सी.की खानों से बॉक्साइट की आपूर्ति पर आधारित गुजरात के कच्छ जिले में 1 मि.टन प्रतिवर्ष के एल्यूमिना परिशोधक की स्थापना के लिए प्रयास कर रही है, जिसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाई जा चुकी है। यह परियोजना संयुक्त उद्यम में संचालन की सम्भावना है, जिसके लिए जी.एम.डी.सी. से सम्पर्क किया गया है।

• ओड़िशा में द्वितीय प्रद्रावक और ग्र॰वि॰सं॰

एक प्रद्रावक एवं विद्युत संकुल सुन्दरगढ़, ओड़िशा में स्थापित करने की परिकल्पना की गई है जिसके लिए राज्य सरकार की पारिती मिल गई है। इसे सम्भाव्य बनाने के लिए कम्पनी कोयला ब्लॉक के आबण्टन हेतु प्रयास कर रहीहै।

• कॉस्टिक सोड़ा परियोजना

यह कम्पनी ₹950 करोड़ के अनुमानित निवेश से गुजरात के दहेज में सी.ए.सी.एल. के संयुक्त उद्यम में 2 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के कॉस्टिक सोड़ा संयंत्र की स्थापना के लिए योजना बना रही है, जिसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट समीक्षाधीन है।

• एल्यूमिनियम और एल्यूमिनियम अयस्क सुचालक संयंत्र

कम्पनी की एल्यूमिनियम और एल्यूमिनियम अयस्क सुचालकों की स्थापना के लिए योजना है, जिसके लिए तकनीकी-आर्थिक सम्भाव्यता रिपोर्ट (टी.ई.एफ.आर.) प्रस्तुत की गई है। ओड़िशा सरकार ने अनुगुळ एल्यूमिनियम पार्क में सिद्धान्त-रूप में 30 एकड़ भूमि आबंटित की है।

• विदेश में प्रद्रावक:

कम्पनी ऐसे देश में एक हरित-क्षेत्र एल्यूमिनियम प्रद्रावक की स्थापना के अवसर तलाश कर रही है, जहाँ प्रतियोगितात्मक मूल्य पर ऊर्जा उपलब्ध हो सके ताकि परियोजना सुकर हो सके। जहाज-परिवहन, भारत से दूरी, आवश्यक मात्रा में ऊर्जा की उपलब्धता तथा मूल्य व्यवहार्यता, भौगोलिक-राजनीतिक परिदृश्य, आनुषंगिक सुविधाएँ आदि जैसे कारकों पर विचार करते हुए अब तक 5 देशों को चुना गया है। आवश्यक डैटा/सूचना के लिए चिह्नित देशों के भारतीय दूतावासों से सम्पर्क किया गया है। परियोजना के लिए श्रेष्ठ सम्भव स्थान को निश्चित करने के लिए शीघ्र ही एक सलाहकार की नियुक्ति की जा रही है।

• दामनजोड़ी में 14 मेगावाट का पवन विद्युत संयंत्र 

कम्पनी दामनजोड़ी में अपनी बॉक्साइट खान के उत्खनित क्षेत्र में 14 मेगावाट के एक पवन विद्युत संयंत्र की स्थापना के लिए भी आयोजना कर रही है। विस्तृत सम्भाव्यता रिपोर्ट (डीएफआर) प्रस्तुत की जा चुकी है।

• 100 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र

कम्पनी भारत में एक अनुकूल स्थान पर 100 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए भी योजना बना रही है। पवन ऊर्जा विकास कर्ता का चयन किया जा रहा है।

• सौर विद्युत परियोजना

अपने सौर पुनर्नवीकरणीय क्रय अनुबंधों (आरपीओ) को पूरा करने के लिए भारत में किसी अनुकूल अवस्थिति पर उपयुक्त क्षमता का सौर विद्युत संयंत्र स्थापित करने के लिए कम्पनी योजना बना रही है।

• छत पर सौर विद्युत परियोजना

कम्पनी नालको अनुसन्धान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र (एन.आर.टी.सी.) भुवनेश्वर के साथ साथ अनुगुळ में प्रद्रावक और टाउनशिप में भी भूतल पर स्थापित और छत पर सौर विद्युत परियोजना की स्थापना के लिए सम्भाव्यता अध्ययन करा रही है।

नालको फाउण्डेशन

नालको, जबकि अपने कार्य-निष्पादन और उत्पादकता के माध्यम से एक उद्योग नेता बनने का प्रयास कर रही है, एक सन्तुलन बनाए रखे हुए है और पारिस्थितिकी, पर्यावरण और समुदायों के विकास तथा संरक्षण के लिए भी देखभाल कर रही है। निगम सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में, नालको नालको फाउण्डेशन के माध्यम से अपने संयंत्रों और परिस्थलों के आसपास रहनेवाले समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिए अपनी योजनाओं और प्रक्रियाओं को नये रूप से सक्रिय कर रही है। नालको फाउण्डेशन कम्पनी के दामनजोड़ी स्थित खान एवं एल्यूमिना परिशोधन संकुल और अनुगुळ स्थित प्रद्रावक एवं विद्युत संकुल से 15 कि.मी. दूरी तक की त्रिज्या क्षेत्र तथा ओड़िशा में पोटांगी और आन्ध्र प्रदेश में गुडेम और केआर कोण्डा में स्थित प्रस्तावित खनन क्षेत्रों के गाँवों के विकास और कल्याण पर ध्यान केन्द्रित करता है

नालको फाउण्डेशन द्वारा हाथ में ली गई कुछ प्रमुख निगम सामाजिक उत्तरदायित्व पहल निम्नवत् हैं:

1. मोबाईल स्वास्थ्य एकक

अच्छी प्रतिक्रिया पर विचार करते हुए नालको ने अपने प्रद्रावक एवं विद्युत संकुल, अनुगुळ (43 गाँव) और खान एवं परिशोधक संकुल, दामनजोड़ी (142 गाँव) में प्रचालित 06 मोबाईल स्वास्थ्य एकक (एमएचयू) की संख्या को बढ़ाकर 08 कर दिया है। वर्ष के दौरान, कुल 2,463 शिविर संचालित हुए और दामनजोड़ी और अनुगुळ के परिधीय गाँवों के कुल 1,09,166 रोगियों का निःशुल्क उपचार किया गया।

2. दामनजोड़ी के परिधीय गाँवों में रहनेवाले बच्चों की औपचारिक शिक्षा के लिए प्रायोजन

यह ध्यान में रखते हुए कि शिक्षा प्रदान करना निगम सामाजिक उत्तरदायित्व में श्रेष्ठ निवेश है, नालको ने सम्पूर्ण लागत वहन करते हुए बच्चों को आवासीय स्कूलों में प्रायोजित करने की अनुपम योजना को जारी रखा है। वर्ष के दौरान, और 254 बच्चों को प्रायोजित किया गया। अब तक ₹1.31 करोड़ की लागत से कुल 655 संख्यक विद्यार्थी प्रायोजित किए गए हैं। ये बच्चे कोरापुट जिले के आदिवासी बहुल और माओवादी-पीड़ित इलाके के दामनजोड़ी स्थित नालको के खान एवं एल्यूमिना परिशोधन संकुल के 16 परिधीय गाँवों के हैं।

3.  स्वच्छ भारत मिशन:

यह कम्पनी भारत सरकार द्वारा छेड़े गए स्वच्छ भारत अभियान में एक सक्रिय भागीदार बनने की सहमति दे चुकी है। आरम्भ में, कम्पनी के 15 कि.मी. त्रिज्या के क्षेत्र के लगभग 100 स्कूलों को लड़के एवं लड़कियों के लिए स्वच्छता सुविधाएँ प्रदान करने के लिए चिह्नित किया गया है।.

कार्य-निष्पादन प्रमुख झलकियाँ: 2013-14

  • शुद्ध बिक्री कारोबार ₹.6649 करोड़
  • शुद्ध लाभ ₹642 करोड़
  • ₹3,719 करोड़ की अबतक की सर्वोच्च निर्यात बिक्री
  • 62.93 लाख टन का अबतक का सर्वोच्च बॉक्साइट उत्पादन
  • 19.25 लाख टन का अबतक का सर्वोच्च एल्यूमिना हाईड्रेट उत्पादन
  • 3.16 लाख टन का ढली धातु उत्पादन
  • 4,989 मिलियन एकक का तापज विद्युत सृजन
  • 150 मिलियन एकक का पवन ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से हरित ऊर्जा सृजन