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Yes,Proceedभुवनेश्वर, 17/10/2015: स्वचालित वाहनों के पुर्जों में एल्यूमिनियम बढ़ते उपयोग से, केवल ईंधन-दक्षता ही नहीं बढ़ी है, बल्कि वाहनों से प्रदूषण भी उल्लेखनीय रूप से घटा है। तपन कुमार चान्द, अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध-निदेशक, नालको के अनुसार प्रति 1 कि.ग्रा. भारी धातु को एल्यूमिनियम से बदले जाने पर एक वाहन के जीवनकाल के दौरान 22 कि.ग्रा. कार्बन-डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन घट जाता है।
“जबकि विकसित देशों प्रति वाहन में औसतन 140 कि.ग्रा. एल्यूमिनियम का उपयोग करते हैं, भारत में यह केवल 40 कि.ग्रा. के लगभग होता है। तथापि, 2016 तक, स्वचालित वाहन क्षेत्र में इस हल्के वजनवाली धातु का उपयोग कम से कम 3 गुना तक बढ़ जाने की आशा है” – श्री चान्द ने भुवनेश्वर में शुक्रवार उद्घाटित हुए ईटीवी अंतर्राषट्रीय स्वचालित वाहन मेले में कहा।
“आरम्भ में, एल्यूमिनियम पहियों और ट्रांसमिशन केसिंग्स में अपने कदम जमाए थे। अब, छतों, आवरणों, ट्रंक्स, दरवाजों, बम्परों और अन्य संरचनाओं में इसका व्यापक उपयोग हो रहा है। वेल्डिंग प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण आविष्कारों से सम्भावनों के अगले परिदृष्य खुल गए हैं।” चान्द ने सविस्तार बताया।. “किन्तु सर्वाधिक महत्वपूर्ण रूप से, वाहन के जीवनकाल के अन्त में, लगभग 90% एल्यूमिनियम पुनःचक्रणयोग्य रहता है”, श्री चान्द ने आगे कहा।
अतनु सव्यसाची नायक, मन्त्री, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री और रमेश चन्द्र माझी, वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री, ओड़िशा सरकार ने भी इस चार दिवसीय स्वचालित वाहन मेंले के उद्घाटन समारोह में भाषण दिए।