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नालको ने हर मौसम के उपयुक्त मॉडल को विकसित किया: तपन कुमार चान्द, अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध-निदेशक

calender03/02/2016

भुवनेश्वर, 03/02/2016: विश्व एल्यूमिनियम बाजार मन्दा है गिरते चक्र में है। भूमण्डलीय एल्यूमिनियम उत्पादन खपत से 2.6% अधिक बढ़ गया है, जिससे 2015 में लगभग 1.4 मिलियन टन का अधिशेष बन गया। चीन में खपत में धीमेपन के परिणामस्वरूप उस देश से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिशेष उत्पादन कम मूल्य पर विक्रय से धातु के मूल्यो में तीव्र गिरावट हुई है। वर्तमान, एल्यूमिनियम मूल्य लगभग 1500 यू.एस. डॉलर प्रति टन के संकीर्ण दायरे से गुजर रहे हैं जो प्राथमिक उत्पादकों की उत्पादन लागत से काफी नीचे है। विश्व में 70% कम्पनियों को नकद हानि होने की रिपोर्ट है। अनेक प्रद्रावक बन्द हो चुके हैं और कई उत्पादन में कटौती का सहारा ले रहे हैं।

“बाजार में कठिनाई का दौर जारी रहने के चलते, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में से विदेशी मुद्रा अर्जन में अग्रणी, नालको ने, नए व्यवसाय प्रतिमान के साथ एक नई निगम योजना विकसित की है जो बाजार के धावों का सामना करेगी और कम्पनी को लाभकारिता के साथ प्रवाहित रखेगी”: कम्पनी के अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध निदेशक श्री तपन कुमार चान्द ने कहा। इस एल्यूमिनियम वृहद् उद्योग के मुख्य के अनुसार यह नया व्यवसाय मॉडल (एनबीएम) नालको को बाजार की अनिश्चितताओं से बचाए रखेगा। यह आधुनिकीकरण और धूसरक्षेत्र विस्तार एवं उर्ध्वप्रवाह एवं अनुप्रवाह के एकीकरण के माध्यम से उत्पादन के परिमाण में वृद्धि के साथ लागत में कमी लाकर कम्पनी के एल्यूमिनियम कारोबार को सुदृढ़ भी करेगा। इसके साथ, यह प्रतिमान हरित विद्युत, नाभिकीय विद्युत, आई.पी.पी., टिटानियम जैसी विरल धातु, लाल पंक अपशिष्ट से लौह की वसूली और तिजारति खनन में विविधीकरण पर विचार करता है, जो धातु बाजार में गिरावट से प्रतिरक्षा करते हैं।

“हम गुजरात में दाहेज में एक कॉस्टिक सोड़ा संयंत्र के लिए गुजरात अल्कालिज एण्ड केमिकल्स लिमिटेड के साथ एक संयुक्त उद्यम कम्पनी गठित कर चुके हैं। नालको विदेश में एक हरित-क्षेत्र एल्यूमिनियम प्रद्रावक की स्थापना के अवसर भी तलाश कर रही है, जहाँ प्रतियोगितात्मक मूल्य पर ऊर्जा उपलब्ध हो सके। कम्पनी ने इस सम्बन्ध में ईरान, ओमान, क़तर और इण्डोनेशिया के साथ चर्चा शुरू की है”, श्री चान्द ने आगे कहा।

भारतीय परिदृश्य के बारे चर्चा करते हुए नवर्तन कें.सा.क्षे.उ. के मुख्य कहते हैं कि भारत में, मुख्यतः विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के में मांग में वृद्धि के कारण, हालांकि खपत 6% बढ़ी है, लेकिन आयात में वृद्धि एक गम्भीर चिन्ता का विषय बन गई है क्योंकि 2014-15 में आयात का परिमाण 1.6 मिलियन टन से अधिक हो गया और निरन्तर बढ़ रहा है। “एल्यूमिनियम धातु की कुल देशीय खपत के 56% का आयात हो रहा है, देशीय उत्पादकों के लिए बाजार का केवल 44% बच पाया है।