ग्रहीत विद्युत संयंत्र (ग्र॰वि॰सं॰), नालको, अनुगुळ के द्वारा विभिन्न पद्धतियों से एक पर्यावरण अनुकूल तरीके से उड़नशील राख के उपयोग बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास किए जाते हैं। चालू वर्ष 2015-16 में दिसम्बर’2015 तक उड़नशील राख का उपयोग 62.75% हुआ है।
ग्र॰वि॰सं॰ में सृजित उड़नशील राख का ईंट बनाने, सीमेण्ट उद्योग में उपयोग, एजबेस्टस उत्पादन, कृषि, कंक्रीट कार्य, सड़क निर्माण कार्य आदि जैसी विविध गतिविधियों में उपयोग होता है। उड़नशील राख की ईंट और राख आधारित उत्पादों के उत्पादकों को उड़नशील राख की आपूर्ति निःशुल्क की जाती है। दीर्घावधि आयोजना के भाग रूप में राख को एम.सी.एल., तालचेर के भरतपुर (दक्षिण) की परित्यक्त कोयला खान में भरने के लिए एक परियोजना हाथ में ली गई है। ओड़िशा सरकार के निदेशों के अनुसार, ग्र॰वि॰सं॰, नालको द्वारा ओड़िशा के सभी सभी उड़नशील राख ईंट उत्पादकों को यह सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि ईंट उत्पादकों को ₹ 150/- प्रति मे॰टन उड़नशील राख का अनुदान प्रदान किया जाएगा। इच्छुक पार्टियों से योजना के विस्तृत विवरण के लिए ग्र॰वि॰सं॰ के राख प्रबन्धन विभाग से सम्पर्क करने का अनुरोध है।
नालको ने राख के उपयोग के दीर्घावधि सामर्थ्य रखनेवाले टाईल के विकास और एल्युमिना के निष्कर्षण जैसे नए खण्ड के विकास के लिए आई॰आई॰टी॰, खड़गपुर एवं आई.एम.एम.टी., भुवनेश्वर के साथ अनुबंध किए हैं। इन सभी गतिविधियों से नालको को 100% राख का उपयोग करने की उपलब्धि मिलना ज्यादा दूर का भविष्य नहीं होगा।
नालको की एक प्रोत्साहन योजना भी है जिसमें राख के तालाब से राख उठाने पर ग्र॰वि॰सं॰, नालको से 7 किलोमीटर की त्रिज्या के अन्दर ₹ 130/घनमीटर और 7 किलोमीटर से अधिक की त्रिज्या पर ₹ 150/घनमीटर दिए जाते हैं। इस योजना का उपयोग सड़क निर्माण और सांविधिक प्राधिकारियों द्वारा यथा-अनुमोदित अन्य उपयोगों के लिए किया जा सकता है।
नालको सर्वदा राख निपटान का प्रबन्धन पर्यावरणीय अनुकूल तरीके से करती है। इसके समान ग्र॰वि॰सं॰, नालको ने अपनी विस्तार परियोजना में उच्च संघनन घोल निपटान प्रणाली की स्थापना की है और एच.सी.एस.डी. मोड में राख के निपटान के लिए एक नये राख का तालाब (राख तालाब-4) का निर्माण किया है।