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सचिवीय मानकों पर राष्ट्रीय सेमिनार

calender15/09/2015

भुवनेश्वर: 18/09/2015:  “अच्छे अभिशासन के भाग रूप में, निदेशक-मंडल की बैठकों में लिए गए सभी निर्णयों को अभिलेखित किया जाता है। किन्तु विलम्बित निर्णयों या कोई निर्णय नहीं होने की प्रतिक्रिया पर कोई उत्तरदायित्व निर्धारित या अभिलेख रिकार्ड नहीं किया जाता है।” नालको के अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध-निदेशक, श्री तपन कुमार चान्द ने कहा। वे आज भुवनेश्वर में आयोजित इन्स्टीच्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरिज ऑफ इण्डिया (आई.सी.एस.आई.) द्वारा आयोजित सचिवीय मानकों पर एक राष्ट्रीय सेमिनार में कम्पनी सचिवों को सम्बोधित कर रहे थे।

“विलम्बित निर्णयों से वित्तीय अनुमानों के साथ साथ कम्पनी की समग्र नैतिक-शक्ति पर गम्भीर प्रभाव पड़ता है। इसलिए, सचिवीय मानकों के भाग रूप में कम्पनी सचिवों को ऐसे निर्णयों को भी रिकार्ड करना चाहिए जिन्हें निदेशक मंडल की बैठकों में और सामान्य बैठकों में जिन्हें औपचारिक रूप नहीं दिया जा सका हो, जो कम्पनी के कार्य-निष्पादन पर विपरीत प्रभाव डालते हों” -श्री चान्द ने कहा। कम्पनी सचिवों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने आगे कहा कि सचिवीय मानक निगम अभिशासन के अभिन्न अंग हैं और इनका उपयुक्त कार्यान्वयन निदेशक-मंडल के क्रियाकलापों की विश्वसनीयता को प्रेरित करता है और निवेशकों को कम्पनी के साथ जुड़े रहने और कम्पनी में निवेश करने में मदद करता है।

उद्घाटन सत्र में उल्लेखनीय रूप से उपस्थित अन्य प्रमुख व्यक्तियों में, सी.एस. अतुल मेहता, अध्यक्ष आई.सी.एस.आई., सी.एस. ममता बिनानी, उपाध्यक्ष, आई.सी.एस.आई. और सी.एस. पवन कुमार विजय, पूर्व अध्यक्ष आई.सी.एस.आई. शामिल थे।